जगन्नाथ मंदिर पुरी हम बता दें कि जगन्नाथ मंदिर पुरी कोरोना काल के समय तीन द्वारों को बंद किया गया था इसलिए आज बीजेपी सरकार ने एक बडा निर्णय लिया है श्री जगन्नाथ मंदिर पुरी ओडिशा में अब की बार बीजेपी की सरकार है जो लागतार जनता के हित में दिख रही है सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में श्री जगन्नाथ मंदिर को लेकर बड़ा फैसला लिया है
दरअसल सरकार ने जगन्नाथ मंदिर के चार द्वारों को फिर से खोलने की मंजूरी दी है,द्वारों बंद करने का कारण कोरोना के कल था आज सरकार ने मंजूर दी है ओडिशा सीएम मोहन चरण मांझी हैं, 13 जुलाई से ही द्वारों चारों खोले जाएंगे,
आखिर क्यों बंद किए थे
कोरोना काल के दौरान ओडिशा सीएम नवीन पटनायक की और सुरक्षा को मध्य नजर रखते हुए तीन दर बंद कर दिए गए थे जिन्होंने खोलने का सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया था, जैसे ही कोरोना महामारी का प्रभाव कम हुआ तो सरकार की और से एक दर खोलने का फैसला किया गया था, जगन्नाथ पुरी मंदिर में दर्शन के लिए बहुत इंतजार करना पड़ता था। है आखिर ओडिशा में विधानसभा के चुनाव 25 मई को चुनाव हुए थे चुनाव के दौरान जनता से वादा किया था कि सरकार बनती ही मंदिर के सभी दरवाजों को खोलने का काम किया जाएगा और 5 साल से मंदिर के तीन दरवाजे बंद थे जो कि आज 13 जून को खोलने का फैसला किया गया है
जगन्नाथ मंदिर पुरी में 22 सीढ़ियां हैं। ये सभी सीढ़ियां मानव जीवन में मौजूद बाईस कमजोरियों का चित्रण करती हैं। धार्मिक लोगों का मानना है कि ये सभी सीढ़ियां बहुत ही गुप्त हैं। भक्तों को तीसरी सीढ़ी पर खास ध्यान देना चाहिए। पौराणिक कहानियों में कहा गया है कि मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर पैर नहीं रखना चाहिए। यम शिला तीसरी पीढ़ी है। अगर आप इस पर पैर रखते हैं, तो आपको समझना चाहिए कि सभी शुभ काम धुल गए हैं और आपको बैकुंठ की जगह यमलोक जाना पड़ेगा। यही कारण है कि भगवान जगन्नाथ को देखने जाते समय तीसरी सीढ़ी पर पैर नहीं रखने की सलाह दी जाती है मंदिर में 22 सीढ़ियां हैं, लेकिन वर्तमान में सिर्फ 18 सीढ़ियां दिखाई देती हैं। यदि इन 2 सीढ़ियों को अनदा बाजार की ओर की 2 सीढ़ियों से जोड़ दें तो इनकी संख्या 20 होगी। 21वीं और 22वीं सीढ़ियां मंदिर की रसोई की ओर हैं। इन सभी सीढ़ियों की चौड़ाई छह फीट है और उनकी लंबाई सात फीट है। मंदिर की सीढ़ियों में से कुछ 15 फीट चौड़ी हैं। वहीं कुछ लोग छह फीट से भी छोटे हैं। भगवान जगन्नाथ को देखने के लिए इन सभी सीढ़ियों को पार करना होगा।
इन चार दरवाजों के पीछे क्या कहानी है
1,सिंहद्वार (सिंह द्वार);मंदिर के पूर्वी प्रवेश द्वार का नाम द्वार की रक्षा करने वाले दो बड़े पत्थर के सिंहों पर है।
2, अश्वद्वार (घोड़ा द्वार);मंदिर के दक्षिणी हिस्से में स्थित दो अश्वद्वार या घोड़ा द्वार हैं, जिन्हें दो पत्थर की घोड़े की मूर्तियों से नामित किया गया है।
3,व्याघ्र द्वार (बाघ द्वार);यह द्वार पश्चिमी दिशा में है और इसका नाम इसकी रक्षा करने वाली बाघ की मूर्तियों के नाम पर रखा गया है
4,हस्तिद्वार (हाथी द्वार);मंदिर के उत्तरी दिशा में स्थित इस द्वार पर हाथियों की मूर्तियां स्थापित हैं
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